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परिचय

सुर संगम कला संस्थान प्रमुखतः भोजपुरी, मैथिली, मगही, वज्जिका और अंगिका लोकगीतों के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत तथा संस्कृति को समर्पित भारतीय संस्था है। इसकी स्थापना 2010 में प्रख्यात लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नूतन के तत्वाधान में की गई एवं सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत निबंधित है। सुर संगम कला संस्थान का मुख्यालय पटना में और क्षेत्रीय केंद्र नई दिल्ली में स्थित है। संस्थान की स्थापना बिहार एवं उत्तर प्रदेश के समग्र लोक कलाओं के संवर्धन, संरक्षण एवं विकास के हितों को ध्यान में रखकर की गई है।  इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सुर संगम विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करती है।  इनमें मुख्य रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम और कार्यशालाएँ आयोजित करना, पुस्तक संग्रह का संरक्षण, विकास एवं प्रकाशन करना, तथा वर्तमान को ध्यान में रखते हुए विलुप्त हो रही सांस्कृतिक विरासत का ऑडियो-विजुअल सामग्री प्रकाशित करना शामिल है जो हमारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को जन जन तक पहुँचाने के लिए समर्पित है।

सुर संगम भोजपुरी, मगही, अंगिका, और वज्जिका भाषा की विलुप्त हो रही संस्कृति को पुनर्जीवित करने और सांस्कृतिक विरासत को स्वच्छता से पेश करने के लिए प्रयासरत है। भोजपुरी, पूर्वी यूपी और बिहार में सर्वाधिक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा की पहुँच भारत से लेकर विदेशों तक होने के बावजूद आज भाषा सांस्कृतिक नैतिकता और सामाजिक गतिशीलता के विरोधाभास से जूझ रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में ऐसे कई लोकप्रिय भोजपुरी गाने हैं जो संस्कृति की लज्जा को भंग कर रहे हैं और इसमें गर्व करने वाली कोई बात नहीं है। सुर संगम का मुख्य उद्देश्य अश्लीलता के खिलाफ जन जाग्रति अभियान चलाते हुए हमारी सांस्कृतिक परंपराओं एवं शैलियों को उनके वास्तविक एवं स्वच्छ रूप में बढ़ावा देना है।

सुर संगम कला संस्थान का हमेशा से यह दृढ़ विश्वास रहा है कि हमारी संस्कृति हमारे बच्चों के माध्यम से जीवित रहती है। सुर संगम का उद्देश्य नई पीढ़ी को संगीत, नृत्य, पेंटिंग और नाटक के माध्यम से पारम्परिक संस्कृति के दिशा में शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्थान ने 2015 में "नूतन नृत्य संगीत कला महाविद्यालय" की  स्थापना की। यह महाविद्यालय प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज के अंतर्गत पंजीकृत है जिसमे शिक्षा के साथ साथ बच्चों को प्रभाकर यानि स्नातक तक की  डिग्री प्रदान की जाती है। यह महाविद्यालय युवा छात्रों को व्यावसायिक अवसर के साथ लोक संस्कृति और शास्त्रीय संगीत, नृत्य, नाटक एवं चित्रकारी के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें अपनी संस्कृति से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।

हमारा लक्ष्य:

  • अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर शास्त्रीय, उपशास्त्रीय तथा लोक संस्कृति कार्यक्रम का आयोजन करना। 

  • विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में व्यावहारिक प्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना। बिहार और उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय विविधताओं और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की समृद्धि के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए संगीत, नृत्य, नाटक तथा साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न कला गतिविधियों का आयोजन करना।

  • भोजपुरी, मैथिलि, मगही, अंगिका, वज्जिका इत्यादि के लोक संस्कृति आधारित शिक्षा एवं प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने हेतु डिजिटल, ऑडियो, वीडियो, पुस्तकों द्वारा उद्देश्यपरक संग्रहालय एवं पुस्तकालय स्थापित करना।

  • बिहार एवं उत्तरप्रदेश के कला संस्कति से सम्बंधित विविध क्षेत्रों मरण ऑडियो विजुअल सामग्री का प्रकाशन करना। 

  • उत्तर भारत में गैर-मान्यता प्राप्त और असाधारण रूप से प्रतिभाशाली कलाकारों को खोजने और बढ़ावा देने के लिए प्रतिभा खोज कार्यक्रम (टैलेंट हंट प्रोग्राम) का आयोजित करना।
     

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